9वीं अनुसूची के तहत कोटा बढ़ाने का फैसला
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के इस फैसले के आड़े न आए इसलिए सरकार आने वाले दिनों में इसे कानूनी संरक्षण देने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची के तहत कोटा वृद्धि लाने की सिफारिश करने का फैसला लिया है।
मंत्रिमंडल से हुआ पास
कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने मंत्रिमंडल की बैठक बताया कि एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद हमने मंत्रिमंडल के समक्ष इस आशय संबंधी एक विधेयक पेश किया और इसे राज्यपाल के पास अध्यादेश जारी करने के लिए भेजने का फैसला किया गया।
बाद में कोई समस्या न हो इसलिए फैसला
सरकार ने पूर्व में कोटा बढ़ाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करने का फैसला किया था। एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि हमने पहले महसूस किया था कि कार्यकारी निर्णय पर्याप्त होगा, लेकिन बाद में लगा कि अगर अदालत में इस पर सवाल उठाया जाता है तो इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसी के चलते हमने अध्यादेश लाने का फैसला किया है।
सरकार ने हाल ही में बढ़ाई थीं जातियां
मधुस्वामी ने कहा कि अध्यादेश संविधान के विभिन्न वर्गों का हवाला देते हुए एक विस्तृत नोट के साथ आरक्षण में बढ़ोतरी को सही ठहराता है। उन्होंने कहा, कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि पहले कर्नाटक में अनुसूचित जाति के तहत केवल 6 जातियां थीं, जिनमें अब 103 जातियां, घुमंतू और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को जोड़ा गया है, इसलिए जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है, और जैसा कि संविधान पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए कहता है, हमें एससी के लिए लगभग 17 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय करना होगा।
मंत्री ने कहा कि इसी तरह, नायका और नायक जैसे विभिन्न समुदायों को एसटी में शामिल करने के बाद उनकी आबादी में भारी वृद्धि हुई है, और चूंकि वे लगभग 7 प्रतिशत हैं, इसलिए उनके आरक्षण में वृद्धि की गई ह